भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में शिकस्त के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में शिवसेना के कंधे पर अस्त्र रखेगी। शिवसेना को आगे कर भारतीय जनता पार्टी को नुक्सान पहुँचाने की तैयारी में पार्टी जुट गयी है। एक तीर से तीन निशाने की संभावना से ओतप्रोत कांग्रेस सपा बसपा और भाजपा के लिए वोट कटवा के रूप में पेश कर देगी। सपा−बसपा से चोट खाई कांग्रेस चाहती है कि उसके सेकुलिरज्म और शिवसेना के खांटी हिन्दुत्व के सहारे यूपी की सियासी प्रयोगशाला में ऐसा राजनीतिक पावडर बनाया जाय जिससे भाजपा ही नहीं सपा−बसपा पर भी छिड़का जा सके। कांग्रेस, महाराष्ट्र की तरह उत्तर प्रदेश में भी शिवसेना के साथ 'कॉमन मिनिमम प्रोग्राम' एजेंडा बनाकर हिन्दू−मुसलमानों को एक छतरी के नीचे लाना चाहती है। कांग्रेस की भाजपा के गैर ब्राह्मण− गैर क्षत्रिय, गैर जाटव, पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक पर नजर लगी है जो कभी उसका कोर वोटर हुआ करता था। कांग्रेस महाराष्ट्र में किसानों का कर्ज माफ कराके यूपी के किसानों के बीच भी पैठ बनाना चाहती है। वैसे भी यूपी में पिछले कई चुनावों से कांग्रेस ने किसानों को लुभाने के लिए कोई कोर−कसर नहीं छोड़ रखी है। महाराष्ट्र में अगर किसानों का कर्ज माफ हो गया तो यूपी के किसानों के बीच भी इसका अच्छा मैसेज जाएगा। इसी के साथ कांग्रेस यह उम्मीद भी लगाई बैठी है कि मुम्बई में बसे उत्तर भारतीयों को खुश करके वह लखनऊ−बिहार में रहने वाले उनके परिवार के अन्य सदस्यों का वोट हासिल कर सकती है। दरअसल, उत्तर प्रदेश भारतीय सियासत की प्रयोगशाला बनता जा रहा है। भारत बचाओ रैली के बाद से उत्साहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इशारा किया है कि अगले कुछ महीनों में शिवसेना की सक्रियता प्रदेश में बढ़ेगी। इसकी पूरी पटकथा लिखी जा चुकी है। इसलिए अंदरखाने से कांग्रेस यही चाहती है कि शिवसेना पूरी तरह से हिन्दुत्व की विचारधारा से दूर जाने की बजाए उसकी सियासी जरूरतों के अनुरूप अपने हिन्दुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़े। एक वजह ये भी है कि तीन दशकों से हिन्दुत्व के नाम पर केन्द्र और महाराष्ट्र भाजपा के साथ खड़ी शिवसेना को उत्तर प्रदेश में भाजपा द्वारा महत्व नहीं दिया जाना है। यह बात शिवसेना को हमेशा कचोटती रहती थी कि वह यूपी में अपनी जड़ें नहीं जमा पा रही है, लेकिन भाजपा के साथ के कारण उसके हाथ बंधे हुए थे। अब ऐसी कोई बंदिश नहीं है। उत्तर प्रदेश में अब कांग्रेस−शिवसेना, भाजपा से मुकाबला करने के लिए बसपा−सपा की छत्र−छाया से बाहर निकलना चाहती है।क्योंकि शिवसेना को भी पता है उत्तर प्रदेश में सपा−बसपा कभी उसके साथ नहीं आएंगी। ऐसे में गठबंधन के लिए उसके सामने कांग्रेस ही आखिरी रास्ता बचता है। यही बड़ा कारण है कि कांग्रेस बीजेपी को पटकनी देने के लिए शिवसेना को हथियार बनाना चाहती है और शिवसेना पूरी तरह से हिन्दुत्व की विचारधारा से दूर जाने के बजाएउसकी सियासी जरूरतों के अनुरूप अपने हिन्दुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़े।