आखिर कब सुनोगे सरकार

भयानक शीतलहरी में कम्बल, भोजन देकर दूसरों को ठंड से बचाव के लिये रात दिन एक करने वाले खुद ठंड का शिकार हो गये हैं। विडंबना है कि सरकार को इनकी सुधि नहीं। जी हाँ, हम बात कर रहे है राजस्व लेखपालों की जो अपने वाजिब हक के लिए आठ दिनों से खुले आसमान में बैठने को मजबूर हैं। प्रदेश के लेखपाल अपनी 5 प्रमुख मांगों को लेकर कई वर्षों से आंदोलन कर रहे थे लेकिन सरकार हर बार आश्वासनों की घुट्टी पिला कर शांत कर देती थी। अबकी बार आरपार के मोड में आये लेखपालों ने सरकार के खिलाफ विगुल फूंक दिया है। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के प्रांतीय आवाहन पर जनपद बस्ती की शाखा द्वारा संपूर्ण कार्य का बहिष्कार करते हुए जनपद के सभी तहसीलों के लेखपाल द्वारा अनिश्चितकालीन धरना जारी रहा जिसकी अध्यक्षता रामसुमेर जिला अध्यक्ष तथा संचालन जिला मंत्री अजय कुमार द्वारा किया जा रहा है। संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश लेखपाल अनुशासित कर्मचारी हैं उन्होंने अपनी मांगों को उचित तरीके से समाचार पत्र एवं वार्ता के माध्यम से उठाया है जिसके परिणाम स्वरुप 2016 से आज तक मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव अपर मुख्य सचिव अध्यक्ष राजस्व परिषद स्तर पर अनेकों बार बार तय हुई वार्ताओं के कार्यवृत्त निर्गत हुए किन्तु परिणाम शून्य रहा। संघ के जिलाध्यक्ष रामसुमेर, जिला उपाध्यक्ष मुकेश कसौधन, जिला उपाध्यक्ष आनंद कुमार, कोषाध्यक्ष हरिप्रसाद, वेद प्रकाश चौधरी, तहसील हरैया से ललित कुमार यादव, अजय सिंह, तहसील सदर से अशोक कुमार त्रिपाठी, देवेंद्र कुमार, रणवीर सिंह, अरविंद पाल, भास्कर वर्मा, हरिओम, तेज बहादुर सिंह, संजय, नंदकुमार श्रीवास्तव, अवधेश शुक्ला, आमोद आर्य, पूजा यादव, स्वेता, उषा चौधरी, अर्जुन, राजेश वर्मा साथी लेखपालों से धैर्य और मजबूती से डटे रहने की लगातार अपील कर रहे हैं।


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