उ.प्र. शिक्षा सेवा चयन आयोग के अधिनियम को बिना संशोधन स्वीकृत करने पर भड़क गए हैं शिक्षकगण।
उ.प्र.माध्यमिक शिक्षक संघ के मण्डलीय मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा है कि शिक्षा सेवा चयन आयोग की धारा-18 संसोधन के बिना स्वीकार नही है। विधेयक पास होने शिक्षकों का उत्पीड़न बढेगा। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग की धारा-21 में जो सुरक्षा प्रदान की गई थी, उसे वर्तमान अधिनियम में विलुप्त कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा तीनों को मिलाकर उ०प्र०शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2019 विधान परिषद के पटल पर सरकार ने प्रस्तुत किया, जिसका अध्ययन नेता शिक्षक राज बहादुर सिंह चन्देल व चेत नारायण सिंह जी द्वारा करते हुए धारा-18 पर विरोध कर हटाने की मांग किये तथा चयन बोर्ड की धारा -21को पूर्व की भांति जोड़ने का लिखित संशोधित प्रस्ताव लाने के लिए सदन में मांग रखा गया, जिसको सरकार द्वारा ठुकरा दिया गया और विल पास करा दिया गया। उन्होंने बताया कि उ.प्र.शिक्षा सेवा चयन बोर्ड नियमावली अधिनियम 1982 (यथा संशोधित- 1998) की धारा-21में स्पष्ट उल्लेख है कि "प्रबन्ध तन्त्र (बोर्ड) के पूर्वानुमोदन के सिवाय किसी अध्यापक को पदच्युत नही करेगा, न सेवा से हटाएगा, न सेवा से हटाने का कोई नोटिस देगा , पंक्तीच्युत करेगा, न उसकी परिलब्धियां में कोई कमी करेगा, न ही किसी अवधि के लिये उसकी वेतन वृद्धि रोकेगा, और ऐसे पूर्वानुमोदन के बिना किया गया ऐसा कोई भी कार्य शून्य होगा।" श्री द्विवेदी ने बताया कि उ.प्र. शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2019 की धारा-18 के अनुसार "नियुक्ति प्राधिकारी आयोग के पूर्व अनुमोदन से किसी अध्यापक कक पदच्युत कर सकेगा या उसे सेवा से हटा सकेगा या सेवा से हटाए जाने की कोई नोटिस उसे तामील कर सकेगा या उसे पदावनत कर सकेगा अथवा उसकी परिलब्धियां कम कर सकेगा।"