ग्रीन जोन या जांच की धीमी रफ्तार

 


करीब 10 करोड़ की आबादी वाले बिहार में अब तक 25 हजार नमूनों यानी प्रति 10 लाख पर 250 लोगों की जांच हुई है। राज्य के 38 में से 13 जिले ग्रीन घोषित किए गए हैं। दूसरी तरफ, 7 करोड़ की आबादी वाले तमिलनाडु में 1.29 लाख लोगों यानी प्रति 10 लाख पर 1895 की जांच हुई है। नतीजा यह कै कि राज्य के 37 में से केवल एक ही जिला ग्रीन जोन है। दोनों राज्यों के उदाहण के आधार पर विशेषज्ञों का दावा है कि ज्यादा जांच वाले राज्यों में लाल और ऑरेंज जिलों की संख्या भी ज्यादा है। जांच का दायरा बढऩे पर रेड और ऑरेंज जिलों की संख्या और बढ़ेगी। डाटा समीक्षा विशेषज्ञ जेम्स विल्सन के मुताबिक, भारत का नक्शा दो हिस्सों में दिखाई दे रहा है। एक ओर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्य लाल व ऑरेंज दिखाई दे रहे हैं तो दूसरी ओर यूपी, बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश ग्रीन जोन में नजर आते हैं। पता चलता है कि कम जांच वाले राज्यों में ग्रीन जिले ज्यादा हैं। हालांकि कुछ छोटे राज्य ऐसे भी हैं, जिन्होंने शुरु से ही जांच बढ़ाकर खुद को लाल जोन से बाहर कर लिया है। प्रति 10 लाख पर लद्दाख में 4766, गोवा में 1303 और त्रिपुरा में प्रति 1179 लोगों की जांच के बाद आज इनमें एक भी जिला रेड जोन में नहीं है।
19 अप्रैल के बाद राज्यों ने दिखाई गंभीरता
आंकड़ों के मुताबिक, 19 से 30 अप्रैल के बीच राज्यों ने जांच पर फोकस किया है। इससे नए मरीजों की पहचान भी आसान हुई है। आंध्र प्रदेश में 280, तमिलनाडु में 254, ओडिशा में 252, त्रिपुरा में 245, पश्चिम बंगाल में 228, कर्नाटक में 222, झारखंड में 213, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में 172, हरियाणा में 151, पंजाब में 187 और उत्तराखंड में 108 फीसदी बढ़ोतरी।



धीरे धीरे ही सही पर बढ़ रही जांच


31 मार्च तक 125 सरकारी और 51 प्राइवेट लैब जांच
30 अप्रैल तक 298 सरकारी और 99 प्राइवेट लैब जांच यानी सरकारी लैब 138 फीसदी निजी लैब 94 फीसदी बढ़ीं


 


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