सही समय पर सही निर्णय के अभाव में चूका लखनऊ जिला प्रशासन
लखनऊ। आगे बढ़ के मारो तब भागेंगे। मारो लगना चाहिए, जमीन पर मारो। ये डायलॉग लखनऊ पुलिस के थे जब परिवर्तन चौक पर भीड़ बेकाबू हो चुकी थी। दो घंटे तक चले जबाबी पत्थरबाजी और प्रदर्शनकारियों ने दर्जनों गाड़ियों, मीडिया चैनलों के कई ओबी वैन को आग के हवाले कर दिया। इसकी शुरआत होती है ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के सतखंडा चौकी इलाके की गलियों से जब प्रदर्शनकारी चौकी को आग के हवाले करते हुए सड़क पर आ गए और बड़ी भीड़ की शक्ल में बदलते गए तो दूसरी ओर खदरा, मदेयगंज, डालीगंज ठाकुरगंज इलाके के टीनेजर्स गलियों से निकल कर मेन रोड पर पहुंच गए। ये सब इतनी तेजी से हुआ मानो ऐसा लग रहा था कि प्रर्दशनकारियों ने पहले से ही तय कर रखा हो कि सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराना है। टुकड़ों में बंटी भीड़ एकजुट होकर जब परिवर्तन चौक की ओर कूच किया तो यह देख पुलिस वालों के हाथपांव फूल गए। किसी प्रशिक्षित जवान की तरह तीन तरफ से परिवर्तन चौक को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया फिर शुरू हो गयी आमने सामने की जंग। पुलिस के जवानों ने जब पहला टियर गैस के गोले दागे तभी फुस फिर दूसरा फुस तभी किसी जवान ने कहा दूसरी गन ले लीजिये सर। जब तक अंदर गोली नहीं जायेगी तब तक कुछ नहीं होगा सर। उधर टियर गन के मिस होते ही उनके हौसले बढ़ गये। प्रदर्शनकारियों ने परिवर्तन चौक को तीन तरफ से घेर लिया और महिलाओं को आगे करते हुए कुछ युवकों ने सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों की शिनाख्त करना शुरू कर दिया और जिन गाड़ियों पर पुलिस, प्रेस लिखा देखा उसे आग के हवाले करते गए। हालत बेकाबू देख रैपिड ऐक्शन फ़ोर्स ने मोर्चा संभाला इससे सहमे पुलिकर्मियों का मनोबल बढ़ा और बिगड़ चुके हालत पर नियंत्रण होने लगा। सूत्र बताते हैं कि मामला उस वक्त बिगड़ गया जब पुलिस वालों को उपद्रवियों पर हमला करने के अधिकारियों से उचित निर्देश नहीं मिले थे। उधर हुसैनाबाद पर चल रहे प्रदर्शन ने आग में घी का काम किया क्योंकि वहां पहले से ही काफी लोग मौजूद थे। पुराने लखनऊ से निकला जब यह कारवां आगे बढ़ा तो इमामबाड़ा पर मौजूद गाइड और तमाम नौजवान भी बढ़ लिए परिवर्तन चौक की तरफ। बावजूद इसके पुलिस ने इन्हें रोकने की जहमत नहीं उठाई क्योंकि उन्हें लगता था कि हर बार की तरह इस बार भी यह "भीड़मात्र" है जो विरोध कर वापस लौट जाएगी लेकिन जब यह भीड़ परिवर्तन चौक पर पहुंची तो नौजवानों ने उपद्रव का रूप ले लिया। उधर पूरे घटनाक्रम को पुलिस के आला अफसरों को अवगत कराया गया। हालाँकि मौके पर मौजूद प्रशासनिक अफसरों ने हालात को काबू करने की वो बहुतेरी कोशिश की लेकिन हालात को नियंत्रण में नहीं ले सके क्योंकि उन्हें इंतजार था कि बड़े अफसर के निर्देश का। इस बीच भीड़ नियोजित हो चुकी थी जब तक
डीजीपी और उनके मातहत वरिष्ठ अफसर पहुंचते तब तक सब कुछ बिगड़ चुका था। इससे पहले जो सूचना भेजी गयी उसमें बताया गया कि प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर युवा है और लगातार परिवर्तन चौक के पार्कों से पत्थर उठाकर फेंके जा रहे हैं। हिंसा को देखते हुए लखनऊ के मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। परिवर्तन चौक में लगातार पत्थरबाजी हो रही है। आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। सरकारी बस में भी तोड़ फोड़ की जा रही है। कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है। बावजूद इसके प्रदर्शनकारियों के बुलंद इरादों को भांपने के बावजूद सही समय पर सही निर्णय के अभाव में सरकार की किरकिरी होने से बचा नहीं जा सका।