खत्म नही हो रहा कांग्रेस का संकट

विकल्प बनने की जमीन तलाश रही कांग्रेस


लखनऊ। संगठन को बिना दुरुस्त किये ही कांग्रेस जनता से जुड़े किसी ऐसे मुद्दे की तलाश में है जिसके दम पर कांग्रेस जनता के बीच अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सके। उम्भा काण्ड में कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने सक्रियता तो बहुत दिखाई और एक हद तक वह सरकार को घेरने में सफल होती दिखी लेकिन उचित रणनीतिक अभाव और संगठन की शिथिलता के चलते उनकी यह सक्रियता परवान नहीं चढ़ सकी। इसके बावजूद प्रियंका ट्विटर के माध्यम से जनता के बीच उपस्थिति तो दर्ज करा रहीं हैं लेकिन सोशल मीडिया में उनकी सक्रियता से कितना लाभ होगा यह तो आने वाला समय बताएगा। इसलिए जब तक कांग्रेस संगठन के कील कांटे दुरुस्त कर सड़क पर नहीं उतरेगी तब तक वह मजबूत विकल्प के रूप में जनता का विशवास हासिल करने में शायद ही सफल हो। उम्भा काण्ड, उन्नाव विधायक पर कथित दुष्कर्म पीडि़ता को जान से मारने के लिए मार्ग दुर्घटना मामले में, प्रदेश में महिला उत्पीडऩ और कानून व्यवस्था पर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति भले ही कारगर रही हो लेकिन कार्यकर्ताओं में वह जोश और जूनून नहीं दिख पाया जितना नेतृत्व ने दिखाने की कोशिश की। प्रियंका की सक्रियता और मुख्यमंत्री को लिखे पत्र से पावर कार्पोरेशन में भविष्य निधि घोटाले ने भूचाल ला दिया। लेकिन रणनीति के अभाव में मुवावजे के लिए आंदोलन कर रहे उन्नाव घटना ने पार्टी की खासी किरकिरी करा दी। प्रियंका के ट्विटर पर शेयर किये वीडियो का यूपी पुलिस ने खंडन कर दिया था। दावजूद इसके हाल ही में हुए विधानसभा की 11 सीटों के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस को भले ही जीत नहीं नसीब हुई लेकिन उसका वोट प्रतिशत दोगुना होगया जो कही न कहीं सक्रियता को जरूर दर्शा रहा है। हालाँकि प्रियंका गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को आइना तो दिखा रही हैं लेकिन जब तक वह यूपी में खुद पूरा समय नहीं देंगी तब तक न तो संगठन मजबूत होगा और न ही सड़क पर पार्टी दिखेगी। इसके लिए प्रियंका को अगुवाई करनी पड़ेगी। प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस खेमों में बंट कर शिथिल हो गयी है कांग्रेस का संगठन तभी सक्रिय होगा जब स्वयं प्रियंका गाँधी सभी को एकजुट कर अगुवाई नहीं करतीं। कांग्रेस के शीर्ष रणनीतिकारों की धारणा भी यही है कि उत्तर प्रदेश में जब तक कांग्रेस अपने दम पर खड़ी नहीं होगी तब तक राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस शायद ही विकल्प बन पाए। वैसे तो प्रियंका का ध्यान यूपी में तो है लेकिन कांग्रेस को विकल्प के रूप में खड़ा करने के लिए उन्हें स्वयं उत्तर प्रदेश में ही रहना होगा। 


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