कांग्रेस कोई बनिये की दुकान नहीं
निष्कासन का फैसला पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र
का गला घोटने वाला
लखनऊ। कांग्रेस पार्टी से निकाले गए दस कथित अनुशासनहीन नेताओं के बागी तेवर बरकरार हैं। बागी नेताओं ने एकस्वर से कहा कि निष्कासन पूरी तरह से असांविधानिक और अनुचित है। पार्टी संविधान के मुताबिक एआइसीसी सदस्यों को प्रदेश कमेटी निकाल ही नहीं सकती। इसके लिए सिर्फ केंद्रीय अनुशासन समिति को संस्तुति कर सकती है। यहां तक कि अनुशासन के मामलों में सहमति या असहमति जताने का अधिकार महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भी नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का नाम लिए बिना पूर्व सांसद संतोष सिंह ने कहा कि कांग्रेस कोई बनिए की दूकान नहीं है जो अखबार में निकाल कर हमें बाहर कर दिया गया। जिस कुर्सी पर पुरुषोत्तम दास टण्डन और गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे लोग रहे हों। उन ओहदों पर टिकट ब्लैक करने वाले बैठ गए हैं। अनुशासन समिति में ऐसे लोग हैं, जो खुद अपराधी हैं और कांग्रेस को जानते तक नहीं। नेताओं ने कहा कि किसी को भी नोटिस ही नहीं मिला तो जवाब कैसे दे सकते थे। फिर समिति असंतुष्ट कैसे हो गई। इस कार्रवाई के बाद तय किया गया कि अब प्रदेश भर में अभियान चलाकर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मंथन करेंगे। साथ ही असली कांग्रेस वर्तमान कांग्रेस के सामने खड़ी होगी। नेताओं ने कहा कि कांग्रेस में घुसपैठियों का प्रवेश हो गया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से की है। कांग्रेस के बागी विधायक, सांसद और कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि जिनके ऊपर संगीन मुकदमे चल रहे हों, जिनका आपराधिक इतिहास रहा हो, वे आज हमें कांग्रेस से निकलने को कह रहे हैं। पूर्व विधायक विनोद चौधरी ने कहा कि हम जमीनी स्तर के कार्यकर्ता हैं। सोनिया गांधी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। वह आम कांग्रेसियों के मन की बात सुनें, वरना सड़क पर उतरकर कांग्रेस के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग छात्र राजनीति से हैं। हमने कभी नहीं कहा कि नौजवानों को आगे नहीं आना चाहिए। हम यूथ राजनीति का विरोध कैसे कर सकते हैं। हमने कभी प्रियंका गांधी की नौजवान टीम का विरोध नहीं किया। यदि सच कहना बगावत है तो समझो हम बागी हैं। सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि मीडिया के माध्यम से यह पता चला की हम लोगों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया है। निष्कासन के लिए 7 दिनों की नोटिस जारी की जाती है। हम लोगों को 24 घंटे का समय मिला जो असंवैधानिक है। यह फैसला पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का गला घोटने वाला है। पार्टी महासचिव प्रियंका वाड्रा के फैसलों पर असंतोष जताना वरिष्ठ कांग्रेसियों को महंगा पड़ा है। हाईकमान के निर्देश पर नोटिस देने के बाद अनुशासन समिति ने ग्यारह में से दस कांग्रेसियों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है। इनमें से करीब डेढ़ दर्जन पार्टीजनों ने पिछले दिनों पूर्व सांसद संतोष सिंह के आवास पर बैठक कर अपनी उपेक्षा पर नाराजगी जताई थी। साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर सुझाव देने का निर्णय लिया। इसके बाद प्रियंका वाड्रा के निर्देश पर 21 नवंबर को अनुशासन समिति ने बैठक में शामिल ग्यारह सदस्यों को नोटिस देकर चौबीस घंटे में स्पष्टीकरण मांगा था। जिन नेताओं नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है उनमें पूर्व सांसद संतोष सिंह, सिराज मेंहदी पूर्व एमएलसी, पूर्व गृहमंत्री रामकृष्ण द्विवेदी, सत्यदेव त्रिपाठी पूर्व मंत्री, राजेन्द्र सिंह सोलंकी सदस्य एआईसीसी, भूधर नारायण मिश्र पूर्व विधायक, हाफिज मोहम्मद उमर पूर्व विधायक, विनोद चौधरी पूर्व विधायक, नेक चन्द्र पाण्डेय पूर्व विधायक, स्वयं प्रकाश गोस्वामी पूर्व अध्यक्ष युवा कांग्रेस, संजीव सिंह पूर्व जिलाध्यक्ष गोरखपुर के नाम शामिल हैं।
लखनऊ। कांग्रेस पार्टी से निकाले गए दस कथित अनुशासनहीन नेताओं के बागी तेवर बरकरार हैं। बागी नेताओं ने एकस्वर से कहा कि निष्कासन पूरी तरह से असांविधानिक और अनुचित है। पार्टी संविधान के मुताबिक एआइसीसी सदस्यों को प्रदेश कमेटी निकाल ही नहीं सकती। इसके लिए सिर्फ केंद्रीय अनुशासन समिति को संस्तुति कर सकती है। यहां तक कि अनुशासन के मामलों में सहमति या असहमति जताने का अधिकार महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भी नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का नाम लिए बिना पूर्व सांसद संतोष सिंह ने कहा कि कांग्रेस कोई बनिए की दूकान नहीं है जो अखबार में निकाल कर हमें बाहर कर दिया गया। जिस कुर्सी पर पुरुषोत्तम दास टण्डन और गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे लोग रहे हों। उन ओहदों पर टिकट ब्लैक करने वाले बैठ गए हैं। अनुशासन समिति में ऐसे लोग हैं, जो खुद अपराधी हैं और कांग्रेस को जानते तक नहीं। नेताओं ने कहा कि किसी को भी नोटिस ही नहीं मिला तो जवाब कैसे दे सकते थे। फिर समिति असंतुष्ट कैसे हो गई। इस कार्रवाई के बाद तय किया गया कि अब प्रदेश भर में अभियान चलाकर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मंथन करेंगे। साथ ही असली कांग्रेस वर्तमान कांग्रेस के सामने खड़ी होगी। नेताओं ने कहा कि कांग्रेस में घुसपैठियों का प्रवेश हो गया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से की है। कांग्रेस के बागी विधायक, सांसद और कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि जिनके ऊपर संगीन मुकदमे चल रहे हों, जिनका आपराधिक इतिहास रहा हो, वे आज हमें कांग्रेस से निकलने को कह रहे हैं। पूर्व विधायक विनोद चौधरी ने कहा कि हम जमीनी स्तर के कार्यकर्ता हैं। सोनिया गांधी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। वह आम कांग्रेसियों के मन की बात सुनें, वरना सड़क पर उतरकर कांग्रेस के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग छात्र राजनीति से हैं। हमने कभी नहीं कहा कि नौजवानों को आगे नहीं आना चाहिए। हम यूथ राजनीति का विरोध कैसे कर सकते हैं। हमने कभी प्रियंका गांधी की नौजवान टीम का विरोध नहीं किया। यदि सच कहना बगावत है तो समझो हम बागी हैं। सत्यदेव त्रिपाठी ने कहा कि मीडिया के माध्यम से यह पता चला की हम लोगों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया है। निष्कासन के लिए 7 दिनों की नोटिस जारी की जाती है। हम लोगों को 24 घंटे का समय मिला जो असंवैधानिक है। यह फैसला पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का गला घोटने वाला है। पार्टी महासचिव प्रियंका वाड्रा के फैसलों पर असंतोष जताना वरिष्ठ कांग्रेसियों को महंगा पड़ा है। हाईकमान के निर्देश पर नोटिस देने के बाद अनुशासन समिति ने ग्यारह में से दस कांग्रेसियों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है। इनमें से करीब डेढ़ दर्जन पार्टीजनों ने पिछले दिनों पूर्व सांसद संतोष सिंह के आवास पर बैठक कर अपनी उपेक्षा पर नाराजगी जताई थी। साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर सुझाव देने का निर्णय लिया। इसके बाद प्रियंका वाड्रा के निर्देश पर 21 नवंबर को अनुशासन समिति ने बैठक में शामिल ग्यारह सदस्यों को नोटिस देकर चौबीस घंटे में स्पष्टीकरण मांगा था। जिन नेताओं नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है उनमें पूर्व सांसद संतोष सिंह, सिराज मेंहदी पूर्व एमएलसी, पूर्व गृहमंत्री रामकृष्ण द्विवेदी, सत्यदेव त्रिपाठी पूर्व मंत्री, राजेन्द्र सिंह सोलंकी सदस्य एआईसीसी, भूधर नारायण मिश्र पूर्व विधायक, हाफिज मोहम्मद उमर पूर्व विधायक, विनोद चौधरी पूर्व विधायक, नेक चन्द्र पाण्डेय पूर्व विधायक, स्वयं प्रकाश गोस्वामी पूर्व अध्यक्ष युवा कांग्रेस, संजीव सिंह पूर्व जिलाध्यक्ष गोरखपुर के नाम शामिल हैं।