ब्रज की होली का अलग अंदाज

ब्रज की होली का अलग अंदाज


मथुरा 7 जनवरी। कान्हा की नगरी ब्रज होली की धूम चारों ओर है हर कोई रंगों की मस्ती मै मस्त है और भगबान के साथ होली खेलकर अपने को धन्य कर रहा है.इसी भाव से आज भगबान श्रीकृष्ण  की खेलन स्थली  गोकुल मै होली खेली गई.यहाँ की होली की विशेषता ये थी की यहाँ पर लाठियों की जगह छड़ी से होली खेली जाती है जिसमे महिलाएं लोगों में लट्ठ की जगह छड़ी मारती है ।
भगबान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा मै हुआ लेकिन उनका बचपन गोकुल मै गुजरा यही भाव आज तक गोकुल् बासियों के अन्दर है.यही कारण है की यहाँ की होली आज भी पूरे ब्रज से अलग है.भक्ति भाव से भक्त सबसे पहले बाल गोपाल को फूलों से सजी पालकी मै बैठाकर नन्द भवन से मुरलीधर घाट ले जाते है जहाँ भगबान बगीचे मै बैठकर भक्तों के साथ होली खेलते है.जिस समय बाल गोपाल का डोला नन्द भवन से निकलकर मुरलीधर घाट तक पहुँचता है उस दौरान साथ  चल रहे भक्त होली के गीतों पर नाचते है गाते है और भगबान के डोले पर पुष्प बरसा करते है .:सैकंडों वर्षों से चली आ रही इस होली की सबसे खास बात ये है की जब भगबान बगीचे मै बैठकर भक्तों के साथ होली खेलते है उस दौरान हुरियारिन भगबान और श्रद्धालुओं के  साथ छड़ी से होली खेलती है ,ब्रज मै सभी जगह होली लाठियों से खेली जाती है लेकिन गोकुल मै भगबान का बाल स्वरुप होने के कारण होली छड़ी से खेली जाती है जिसका आनंद न केवल गोकुल वाले बल्कि देश के कई इलाकों से हजरों भक्त भी लेते है।


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