आश्विन की रात में मजदूर धरने पर

मौजूदा सरकार की कोशिशों के बावजूद राजनीतिक शिथिलता के चलते स्थानीय समस्याओं का हल निकलना टेढ़ी खीर हो गया है। लोक सभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने बस्ती चीनी  मिल के सीजनल श्रमिको की समस्याओं को हल करने का वादा किया था पर अफसोस है कि यह हो न सका। फेनिल ग्रुप के स्वामित्व में चल रही बस्ती सुगर मिल के श्रमिक भुखमरी के कगार पर हैं। हालत ये है कि पाई पाई को मोहताज मजदूर बकाया भुगतान को लेकर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। पूर्व में जिला प्रशासन ने आंशिक कोशिश की थी लेकिन कोशिशें परवान न चढ़ सकीं। सोमवार को परेशान मजदूर शास्त्री चौक पर धरने पर बैठ गए हैं। धरने पर बैठे मजदूरों का कहना है की फेनिल ग्रुप हम मजदूरों की  मजदूरी हड़प लेना चाहते हैं। जाहिर है कि यह एक राजनीतिक मुद्दा बना था। मजदूरों के धरने की जानकारी जब कॉंग्रेस कार्यकर्ताओं को हुई तो वह भी अपने प्रदेश सचिव विश्व विजय सिंह व जिलाध्यक्ष अंकुर वर्मा सहित दर्जनों कार्यकर्ता मजदूरों के समर्थन में धरने पर बैठ गए। इसके पहले भी कई बार श्रमिक अपनी मांगों को लेकर दे चुके हैं लेकिन केवल मजदूरी के बजाय इन्हें आश्वासन ही मिला है। अब देखना यह है कि इन मजदूरों को बकाया मजदूरी का भुगतान क्या इस धरने के बाद हो सकेगा।


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